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खेती करते हैं और नहीं है आय का कोई और अतिरिक्त जरिया, मछली पालन कीजिए शुरुआती किसानों के लिए मछली पालन, कम लागत ज्यादा मुनाफा, सरकार देती है 60% तक की सब्सिडी।

On: June 28, 2025 5:01 PM
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खेती के साथ-साथ मछली पालन अच्छा व्यवसाय हो सकता है। और किसानों के लिए यह एक अतिरिक्त आय का जरिया बन सकता है,। पर कुछ किसान असफल हो जाने के डर से, नए व्यवसाय में हाथ आजमाने से डरते हैं।

मछली पालन में लागत और चुनौतियां 

तो आज आप इस लेख में, मछली पालन से जुड़े सारे कार्यों को स्टेप बाय स्टेप समझेंगे

 

जैसे- अपनी भूमि अनुसार योजना कैसे तैयार करें, मछली पालन की व्यवसाय में शुरू से अंत तक लागत कितनी आएगी। मछली पालन के लिए बीज कौन सा चुने, उत्पादन के बाद कहां बेचे। इसके लिए हमें लोन कहां से मिल सकता है।

 

मत्स्य विभाग से सब्सिडी कैसे लें।

 

कैसी जगह मत्स्य पालन के लिए उपयुक्त होती है।

 

मछली पालन में सबसे बड़ी जरूरत, पानी की होती है। अगर आपके गांव का, वाटर लेवल अच्छा है, गर्मी के दिनों में भूमिगत जल स्रोत बहुत नीचे नहीं जाता है। तो आपके लिए मछली पालन उपयुक्त व्यवसाय हो सकता है

 

स्थान जहां मछली पाल जाएगा, कितनी तरह के होते हैं।

 

1 पोंड या तालाब सिस्टम

 

2 कैज सिस्टम

 

3 आर ए एस सिस्टम

 

4 बायोफ्लॉक सिस्टम

 

पोंड या तालाब 

 

इसमें जमीन पर तालाब की खुदाई की जाती है। फिर उस तालाब में पानी भरकर, मछली का पालन किया जाता है। छोटे किसानों में यह तारिका ज्यादा लोकप्रिय होता है।

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1 एकड़ तालाब की खुदाई में, लगभग ढाई लाख रुपए तक का खर्च आता है। इसमें पानी की व्यवस्था मोटर पंप सेड का निर्माण जैसे अन्य खर्च भी शामिल है

अगर आप तालाब में mic विधि से मछली पालन करते हैं, तो 1 एकड़ में 8 से 10 महीना में लगभग 5 से 6 टन मछली उत्पादन कर सकते हैं। इस विधि में लागत कम आती है। क्योंकि इस विधि में अलग-अलग प्रजातियों के मछली का पालन एक साथ किया जाता है। कुछ मछलियां तालाब के सतह में रहती हैं कुछ तालाब की तल में, कुछ तालाब के बीच वाले हिस्से में मतलब तालाब के हर हिस्से का उपयोग होता है। इसमें फीड कम देना पड़ता है, क्योंकि कुछ मछलियां अन्य मछलियों  के आहार के अवशेषों को खाकर जिंदा रहती है। इस तरह इसमें कम लागत में अधिक उत्पादन होता है।

 

तालाब विधि में अगर हम केट फिश मछली पालन करते हैं। तो हमें इससे अधिक उत्पादन प्राप्त होता है 1 एकड़ के तालाब में इन्हीं 8 से 10 महीना में 15 से 16 टन तक कुछ किसान उत्पाद लेते हैं पर इसमें फीड का खर्चा काफी बढ़ जाता है क्योंकि तालाब में एक ही किस्म की मछली होती है। और वह पूरी तरह फीड पर ही निर्भर होते हैं।

 

कैज 

 

कैज सिस्टम से मछली पालन, बड़े जलाशयों जैसे बड़े डैम बांधो पर की जाती है। जिसे सरकार से लीज पर लिया जाता है इसमें जलाशय की गहराई 80 से 90 फीट होनी चाहिए। कैज सिस्टम को हम पानी में तैरता हुआ कमरा कह सकते हैं,

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96 फिट यानी 6 मीटर लंबाई 6 मीटर चौड़ाई 4 मीटर गहराई मतलब 96 मी का तैरता हुआ चारों तरफ से बंद कमरा, जो ऊपर की तरफ से खुला होता है, मछलियों को फीड कराने और हार्वेस्टिंग करने के लिए।  इसमें लगे जाल भी कई तरह के होते हैं जिन्हे कैज मे लगाया जाता हैं।

 

इसमें लगे जाल मजबूत होने चाहिए। ताकि तूफान बवंडर जैसी परिस्थितियों में पानी में बने दबाव को सह सके, और जाल टूटे ना

 

आमतौर पर इस तरह के कैज 12- 12 के समूह में लगाया जाता है। ताकि लेबर कॉस्ट काम की जा सके, आमतौर पर कहा जाता है। आप किसी भी व्यवसाय को लार्ज स्केल में करते हैं तो प्रोडक्शन कॉस्ट घटती जाती है इस विधि से मछली पालन बड़े स्तर पर करके चाहिए। इसमें ज्यादा निवेश की भी आवश्यकता पड़ती है। पर इस विधि में कई तरह के खर्चों की कटौती भी होती है। जैसे स्वयं की जमीन तालाब का निर्माण बोर खनन सेड निर्माण जैसे अन्य स्ट्रक्चर।

 

आर ए एस सिस्टम

 

रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) इस विधि से मछली पालन को हम एक लघु औद्योगिक इकाई कर सकते हैं।

 

Recirculatory aquaculture system

 

इस विधि में टैंको मैं मछली पालन किया जाता है। और पानी को बार-बार री सर्कुलेट करके पानी को जैविक और तकनीकी विधि से छानकर। पुनः उपयोग में लिया जाता है।

 

इसमें कम जगह का उपयोग किया जाता है, और अच्छा उत्पादन लिया जाता है पर इस स्ट्रक्चर को खड़ा करने में ज्यादा खर्च आता है। तकनीक और रिसर्च की भी काफी जरूरत पड़ती है।

 

बायोफ्लॉक सिस्टम

 

इस विधि में उच्च घनत्व वाले बड़े-बड़े टैंकों में मछली पालन किया जाता है। इस विधि में भी कम जगह की आवश्यकता पड़ती है।

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इस विधि में एक बैक्टीरिया का उपयोग किया जाता है जिसे बायोफ्लॉक कहते हैं यह बैक्टीरिया मछलियों के मल मूत्र को प्रोटीन में बदल देता है। एवं यह बैक्टीरिया पानी को भी स्वच्छ करता है इस तरह से उसी पानी का उपयोग  करके कम पानी में ज्यादा उत्पादन लिया जाता है।

 

इसकी एक यूनिट लगाने में, 8 से 9 लख रुपए की लागत आती है। जिसमें सामान्य व ओबीसी वर्ग के किसानों को 50 फ़ीसदी सब्सिडी मिल सकती है। तो वहीं अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के किसानों को 60 फ़ीसदी अनुदान मिलता है।

 

कर्ज और सरकारी सहायता हमें कहां मिल सकती है।

 

इसके लिए हमें मत्स्य पालन विभाग के जिला कार्यालय में संपर्क करना होगा, स्थानीय मत्स्य पालन सहकारी समिति के सदस्यों से भी इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

 

जरूरी दस्तावेज भी तैयार रखें जैसे

 

आधार कार्ड

 

जाति प्रमाण पत्र

 

पैन कार्ड

 

आय प्रमाण पत्र

 

निवास प्रमाण पत्र

 

संबंधित भूमि के दस्तावेज जहां मछली पालन करना चाहते हैं

 

बैंक अकाउंट

 

याद रखें सरकार की किसी भी तरह की सब्सिडी योजना का लाभ उठाने के लिए। हमें खुद से कुछ निवेश करना होता है। संबंधित व्यवसाय को बैंक से मिले कर्ज के साथ अच्छी तरह संचालित करने के बाद ही हमें सरकारी सब्सिडी या यूं कहीं अनुदान मिलता है।

 

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